Shree Adya Katyayani Sakti Peeth Mandir,Chhatarpur,Delhi | छतरपुर मंदिर,दिल्ली

मंदिर का भव्य स्वरूप

 

 

 

श्री अद्या कात्यायनी शक्ति पीठ मंदिर , छतरपुर , दिल्ली 

 

सुबह के 8 बज रहे थे और मुझे मंदिर जाने की जल्दी मची थी | जल्दी से प्रकाश ( मेरे पति ) और आरुष ( मेरा बेटा ) के लिए नाश्ता बनाकर फटाफट मंदिर जाने के लिए तैयार होने लगी | चैत्र नवरात्र का नौवा दिन यानि नवमी है इसलिए माता का दर्शन तो लाजमी है | मेरी माता कात्यायनी मे गहरी आस्था है और न जाने क्यों 4 - 5 बार जाने के बाद भी मन वहाँ जाने को हमेशा आतुर रहता है | मै लेट न हो जाऊ व् गर्मी ज्यादा न बढ़ जाये इसलिए ऑटो कर के निकल पड़ी | वैसे तो अच्छे - खासे पैसे लग गए पर तसल्ली थी कि जल्दी ही माँ के दरबार मे पहुँच जाऊँगी | करीब 45 min लगे पहुचने में | यदि आप चाहे तो छतरपुर मंदिर Metro या Bus से भी जा सकते है , दोनों सुविधा उपलब्ध है माँ के दरबार तक पहुँचने की | Nearest metro station " Chhatarpur Metro Station " हैं | वहाँ से मंदिर 5 - 7 min के walking distance पर हैं  |



इससे पहले की आगे की यात्रा आरंभ करू , आईए पहले आपको माँ कात्यायनी के जन्म व उद्भव की गाथा बता दूँ | 

माँ कात्यायनी की पौराणिक गाथा :

एक पौराणिक कथा के अनुसार , एक ऋषि थे " महर्षि कात्यायन " जिन्होंने माँ दुर्गा - ब्रम्हा , विष्णु , महेश ,इन तीनो की शक्तियों के मिलन से उत्त्पन हुयी शक्ति जो राक्षसों / बुराईयों का नाश करती है - को अपने तप से प्रसन्न कर वर के रूप मे उन्हें अपनी पुत्री के रूप मे पाने का वरदान माँगा था | माँ कात्यायिनी वही अवतार है जिन्होंने महिषासुर का वध किया | इनका वर्ण स्वर्ण के सामान चमकीला एवं हाथ सभी प्रकार के अस्त्रों - शास्त्रों से सुसज्जित है |
ऐसा माना जाता है कि माँ के पूजन से इन्सान हर प्रकार के कष्टों से निजात पा , सुख- समृधि व् संतोष को प्राप्त करता है और अंत मे मोक्ष को प्राप्त करता हैं |


माँ कात्यायिनी - माँ दुर्गा का छटा स्वरूप : 

 

 

दक्षिण दिल्ली के महरौली के छतरपुर मे श्री आद्य कात्यायिनी शक्ति पीठ मंदिर स्थित है | यह मंदिर माँ कात्यायिनी के परम भक्त संत श्री नागपाल बाबा ने सन 1974 मे बनवायी थी | इस मंदिर मे तब से अब तक निरंतर कार्य चलता रहा है और मंदिर के परिसर मे विस्तार होता रहा | यह मंदिर करीब 70 एकड़ मे फैला हुआ है जिस पर लगभग 20 छोटे-बड़े मंदिर बने हुए हैं |


मंदिर का सामने का दृश्य


जब आप मंदिर मे प्रवेश करते है तो वही प्रवेश - द्वार के बगल मे ही जूता - चप्पल रखने का मंदिर-परिषद् द्वारा इंतजाम किया गया है | वहाँ आप free मे अपने जुते - चप्पल रख सकते हैं | प्रवेश - द्वार के बाएँ दान ( भंडारा के लिए ) जमा करने के लिए स्थान बनाया गया है जहाँ आप चाहे तो खाने - पिने का कोई भी सामान दान के लिए जमा करा सकते है |





 एक बात जो मुझे बेहद अच्छी लगी वो ये है - फोटो मे देखिये




मैंने बहुत से ऐसे भी मंदिर देखे है जहाँ धर्म - कर्म के नाम पर पंडित लूट - खसोट मचाते है पर यहाँ धार्मिक कर्म के नाम पर ऐसी किसी प्रकार का प्रलोभन नही दिखता | इसके अलावा यहाँ के किसी पुजारी , पुरोहित या मंदिर के किसी भी अन्य सदस्य को भी पैसे , वस्तु आदि का दान देना माना हैं | हाँ , यदि आप दान देना चाहे तो दान-पात्र मे अपना दान डाल सकते हैं |


मंदिर परिसर मुख्यत: तीन हिस्सों मे विभाजित है | सभी परिसर मे अनेको मंदिर बने हुए है, हर एक मंदिर देव - विशेष को समर्पित है | जैसे - शिव मंदिर , हनुमान मंदिर, माता कात्यायिनी का मुख्य मंदिर , दुर्गा मंदिर , लक्ष्मी - विनायक मंदिर , बाबा की समाधि , मर्केंडेय मंदुप , नागेश्वर मंदिर , और 101 feet ऊँचा हनुमान जी की भव्य मूर्ति इत्यादि... 

नागेश्वर मंदिर 


लक्ष्मी-विनायक मंदिर 


बाबा की समाधि
101 feet ऊँचा हनुमान मूर्ति


विशाल त्रिशूल


माता का ये मंदिर भी केवल नवरात्र,शिवरात्रि,...को खुलता है 


सभी मंदिर - परिसर आपको स्वच्छ , साफ - सुथरा देखने को मिलेगा | यहाँ के मंदिरों की बनावट आप गौर से देखे तो आपको दक्षिण - उत्तर की मिली -जुली संरचना नजर आएगी | यहाँ संगमरमर के पत्थरों  का भी मंदिर निर्माण मे भरपूर उपयोग हुआ मिलेगा | दिल्ली के मुख्य आकर्षण-स्थलों मे इस मंदिर का नाम भी शामिल है इसलिए यहाँ देश-विदेश से लाखों श्रधालु माता के दर्शन करने आते हैं | भारत का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर होने का भी गौरव इस मंदिर को प्राप्त है |






माता का मुख्य मंदिर


अब आईए मुख्य - मंदिर मे चलते है .... आप अंदर जैसे ही जायेंगे आपको एक पेड़ व्  उसके चारों तरफ चुन्नी एवं श्रृंगार के समान बंधे हुए मिलेंगे | यहाँ लोग अपनी मन्नत माँग कर चुन्नी व् श्रृंगार के समान बाँधते है ,मान्यता है की ऐसा करने से मन्नत पूरी होती हैं | 





आगे जाने पर माता का मुख्य मंदिर मिलेगा जिस मे माँ की मुख्य प्रतिमा सोने की बनी हुयी है | इनके दायी ओर सरस्वती - कार्तिकेय तो बांयी ओर लक्ष्मी - गणेश विराजमान है | Main Hall इतना बड़ा है की एक समय मे 1000 से ज्यादा लोग भी एक साथ माँ के दर्शन कर सकते है | आप चाहे तो वहाँ कुछ देर बैठ कर ध्यान भी कर सकते है |




 




ध्यान देने वाली बात ये है की माँ का मुख्य पट व कुछेक मंदिर भी केवल दोनों नवरात्र ,सभी पूर्णिमा , महाशिवरात्रि एवं जन्माष्टमी को ही खुलते है | यदि आप माँ के भव्य रूप का दर्शन करना चाहते है तो कोशिश करे की इन दिनों मे ही जाये ताकि माँ के दर्शन हो पाए और एक महत्वपूर्ण बात मै आप सब से share करना चाहूंगी वो ये कि नवरात्री के प्रथम दिन एवं दशमी को 56 भोग ( 56 प्रकार का ) माँ भगवती को लगाया जाता है बाद मे वही प्रसाद सभी मे वितरीत किया जाता हैं | यदि आप माँ की आरती देखना चाहते है तो सुबह के 6 - 6.30 am एवं शाम को 7 - 7.30 pm देख सकते है |

माता के दरबार से सटे ही एक कमरा दिखेगा जिसमे माँ कात्यायिनी का Bed-room , Dressing table , Dining table आदि सुसज्जित मिलेंगे तो चाँदी के बने हुए है | मुख्य द्वार के बाहर श्री राम की मूर्ति है जिसे बहुत ही खूबसूरती से सजाया गया है | और एक खास बात ये भी है की इस परिसर मे हमेशा कोई न कोई कार्यक्रम , भजन आदि होते ही रहता है |

माता का शयन-कक्ष
माता का डायनिंग-टेबल




मर्यादा पुर्षोत्तम श्री राम
यहाँ हमेशा कोई न कोई प्रोग्राम होते रहता है 



नोट - मुख्य देवी - देवताओं का फोटो लेना माना होता है , फिर भी लोग फोटो खिंच ही लेते है | कोई कठोर नियम नही है शायद इसलिए .. मैंने भी खूब फोटो खींची | 😊

मुझे पता है आप और भी ज्यादा फोटो देखना चाह रहे है , आखिर देखने को मन भी क्यों न करे माता रानी के दरबार की छटा ही अत्यंत मनमोहक और निराली है | आपको इसके लिए मेरे अगले post का थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा ,यकीन मानिए ज्यादा इंतज़ार नहीं करवाउंगी और आपको कुछ ऐसे चित्र भी दिखाउंगी जो सच मे खूबसूरती और कलाकारी मे बेमिशाल है |

मुझे आशा है की आपको ये यात्रा पसंद आई होगी | तो फिर देर किस बात की है .. इस post को Like व अपने दोस्तों और परिजनों के साथ अभी share करे क्यूंकि आप तो जानते ही है sharing is caring है न !! 😊

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